शालेय बालकों की पोषण संबंधी समस्याओं के कारण और उपाय

यशपाल प्रेमचंद

बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सही पोषण का महत्व समझना अत्यंत आवश्यक है।

यहाँ हम बच्चों में पोषण समस्याओं के कारणों पर चर्चा करेंगे और इन समस्याओं के हलों पर भी चर्चा करेंगे।

आजकल, शहरी क्षेत्रों में बच्चों में पोषण समस्याएं बढ़ रही हैं। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे खाने के सही प्रकार और मात्रा की कमी, शराब और तम्बाकू के सेवन का प्रभाव, कुपोषण, और शारीरिक गतिविधियों में कमी।

ये सभी कारण बच्चों को स्वस्थ नहीं रखने और उनके विकास को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम बच्चों को संतुलित और पौष्टिक आहार प्रदान करें।

इसलिए, हम इस लेख में बच्चों में पोषण समस्याओं के हल बताने का प्रयास करेंगे। हमें इन समस्याओं को हल करने के लिए स्कूलों में पोषणीय बगीचों का स्थापना करनी चाहिए, जहां बच्चे खुद कृषिकारी कार्यों में हिस्सा ले सकें।

हमें उन्हें महत्वपूर्ण पोषण ज्ञान प्रदान करना चाहिए और परिवारों को भी संलेखन करना चाहिए। स्वस्थ और पूर्णवाला आहार बच्चों के स्वास्थ्य पर बहुत अच्छा प्रभाव डालता है।

पोषण संबंधी समस्याओं के सामान्य कारण

विद्यालय की आयु के बच्चों में पोषण समस्याएं होना एक आम समस्या है| इसकी कुछ सामान्य कारण हैं जैसे कि खराब आहार आदतें, पौष्टिक भोजन की पहुंच की कमी, व्यस्त जीवनशैली और पोषणिक जागरूकता की कमी|

इसके अलावा, समाज-आर्थिक कारकों और माता-पिता के पोषण पर निर्धारित असर को भी उजागर करना आवश्यक है|

खराब आहार आदतें मुख्यतः चिप्स, नमकीन, बिस्किट और मिठाई जैसे प्रकार के उच्च कैलोरी युक्त तत्वों के सेवन के कारण हो सकती हैं| इसके अलावा, बच्चों को पौष्टिक भोजन की पहुंच में भी समस्या हो सकती है|

ज्यादातर बच्चे स्कूल या घर से दूर पढ़ाई के कारण भोजन का उचित समय नहीं निकाल पाते| इसके बावजूद, जिन्दगी की व्यस्तता भी बच्चों के पोषणिक आहार में भारी प्रभाव डाल सकती है|

बच्चों में पोषण संबंधी समस्याओं का एक और मुख्य कारण है उनके माता-पिता का अनुपातिक पोषणिक मानकों का चयन| माता-पिता द्वारा मानकों में कमजोरी या अज्ञानता होने की स्थिति में, बच्चे पोषण संबंधी समस्याओं से प्रभावित हो सकते हैं|

समझे रहें कि ये सभी कारण एक-दूसरे से जुड़े हुए हो सकते हैं और बच्चों के पोषण संबंधी समस्याएं गंभीरता से लिए जाना चाहिए|

इसलिए, माता-पिता और समाज को बच्चों की स्वास्थ्य और पोषण संबंधी जरूरतों को महत्वपूर्ण समझना चाहिए ताकि इन समस्याओं का समाधान करना संभव हो सके|

प्रमुख पोषण संबंधी समस्याएं

स्कूल आयु के बच्चों को पोषण संबंधी काफी परेशानियाँ आती हैं। भारतीय बच्चों में पोषण कमी, चर्बीपन, विटामिन और खनिजों की कमी, और खाने की बीमारियाँ जैसी समस्याएं होती हैं। ये समस्याएं उनकी सेहत और विकास पर गहरा प्रभाव डालती हैं।

मालनुत्री की एक बड़ी समस्या है जिसमें बच्चे आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित रह जाते हैं। भारत में प्रत्येक तीसरे बच्चे को कुचलती मांसपेशियों वाली धान्यों, पौष्टिक फलों और सब्जियों की कमी होती है। इससे उनका वजन और ऊँचाई भी प्रभावित हो जाती है।

दूसरी समस्या है बच्चों में मोटापा जो बेहतरीन खान-पान और नियमित व्यायाम की कामी के कारण होता है। भारतीय बच्चों में मोटापा की प्रवृत्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

विटामिन और खनिजों की कमी आम समस्या है जो आवश्यक होती है बच्चों की सही विकास के लिए। अन्यत्रा, हमारे बच्चों में खाने की बीमारियाँ भी हो सकती है, जैसे खाने की अन्यदिन वाली बीमारी या अनारेक्सिया जैसी हालतें।

भारतीय बच्चों की सेहत को देखते हुए सांख्यिकी दर्शाती है कि करीब 70% बच्चों में कमजोरी और कमजोर रोग पाए जाते हैं। इसलिए उन्हें सही खानपान के अलावा ओपन वाली खेल और नियमित व्यायाम की आवश्यकता भी होती है।

समस्याओं के स्वास्थ्य पर प्रभाव

यह निकाल कि खाद्य संबंधी समस्याएं बच्चों के स्वास्थ्य और अच्छी तरह से बिताने में असर डाल सकती हैं।

गरीब पोषण शारीरिक विकास, मानसिक विकास, एकादमिक प्रदर्शन और सामान्य ऊर्जा स्तरों पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।

खराब आहार बाल स्वास्थ्य के लिए भी मुद्रक बन सकता है। अगर इन समस्याओं का सामना नहीं किया गया तो यह लंबे समय तक खड़ा कर सकता है।

खराब आहार से बच्चों में शारीरिक विकास रुक जाता है। यह कमजोरी और कमजोर नसों का कारण बनता है। साथ ही, खाद्य संबधी समस्याओं से मानसिक विकास पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।

ये बच्चों की मनोदशा पर खराब असर डाल सकते हैं, जिससे उनके अध्ययन प्रदर्शन में भी असर पड़ता है।

अगर खाद्य संबंधी समस्याएं समय पर नहीं देखी जाएंगी तो यह बच्चों के लिए लंबे समय तक हानिकारक हो सकता है। वे पहले से अच्छे स्‍वास्थ्य सम्बंधी सम्‍पादन की संभावना कम हो जाती है।

साथ ही, खराब आपूर्ति आहार नकारात्‍मक प्रभाव डालता है और दिल, मोटापा, मधुमेह, स्‍थानिक विकार और कैंसर की तरह रोगों का खतरा बढ़ा सकता है।

इसलिए, बेहतर होगा की हम खराब आहार संबंधित समस्याओं पर ध्यान दें, ताकि हमारे बच्चों का सुगम और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित हो सके।

पोषण संबंधी समस्याओं के समाधान

विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के पोषण संबंधी समस्याओं को हल करने के लिए कुछ युक्तियाँ हैं जो आपकी मदद कर सकती हैं।

संतुलित आहार की महत्ता पर बात करते हुए, दूसरे शब्दों में फल, सब्जियां, पूरे अनाज, प्रोटीन और स्वस्थ तेलों को आपके बच्चे के आहार में शामिल करने का महत्व बताएँ।

स्वस्थ भोजन योजना, स्वस्थ टिफिन, और घर और स्कूल में स्वस्थ खाने की आदत को बढ़ावा देने के लिए माता-पिताओं और देखभालकर्ताओं के लिए सुझाव दें।

  • पहले और सबसे महत्वपूर्ण युक्ति यह है कि आप अपने बच्चे के लिए रोज़ाना संतुलित भोजन योजना तैयार करें। इसमें फल, सब्जियां, घी, दाल, अन्न और पूरे अनाज शामिल होने चाहिए।
  • आप अपने बच्चे की टिफिन में स्वस्थ स्नैक्स जैसे फल, सब्जी पकोड़े, रोस्टेड फल, दही और माखन शामिल कर सकते हैं।
  • अपने बच्चे को विभिन्न रंगों और स्वादों में फल और सब्जियां खाने के लिए प्रेरित करें। इससे उन्हें विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता पूरी होगी।
  • स्कूलों में स्वस्थ खाने के विकल्पों को बढ़ावा दें, जैसे कि स्वस्थ स्नैक्स वेंडर्स, संतुलित टिफिन मेनू और पोषण शिक्षा।

इस तरीके से, हम अपने बच्चों के सही पोषण को सुनिश्चित कर सकते हैं और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली की अच्छी आदतें प्रदान कर सकते हैं।

स्कूल और समुदाय की भूमिका

स्कूल और समुदाय दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है बच्चों की सही पोषण को प्रोत्साहित करने में।

स्कूलों के द्वारा चलाए जाने वाले भोजन कार्यक्रम, पोषण शिक्षा और समुदाय समर्थन कार्यक्रम जैसे पहलों के बारे में चर्चा करनी चाहिए।

इन पहलों का महत्वपूर्ण हिस्सा भर गया है क्योंकि बच्चों को सही आहार की जरूरत होती है और इससे उनकी सेहत, विकास और शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

सही आहार की बात करने के लिए माता-पिता, शिक्षक और समुदाय के नेताओं के मध्य सहयोग समर्थित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

स्कूलों के साथ-साथ समुदायों के द्वारा यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि बच्चों को उनकी पोषण की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक उपलब्धियाँ मिलती हैं।

संबद्धता की यह संरचना बच्चों को सही खाने की और आहार के संबंध में जागरूक करती है। यहाँ तक कि पोषण के महत्व को बच्चों को समझाने के लिए शिक्षा विभागों का भी यही मानना चाहिए।

इस संबंध में नाणियों को योगदान देने के लिए स्वतंत्र समाज के तत्पर लोगों की भी जरूरत होती है। इस प्रकार, हम सभी मिलकर एक संरचित माहौल स्थापित कर सकते हैं जो बच्चों की पोषण को प्रोत्साहित करेगा और उनके समृद्ध होने को सुनिश्चित करेगा।

नियमित स्वास्थ्य जांच और परामर्श

बच्चों के नियमित स्वास्थ्य जांच और पोषण परामर्श का महत्व को बढ़ावा देने की जरूरत को बताएं।

यह माना जाता है कि यदि हम अपने बच्चों को स्वास्थ्य सम्मानित डॉक्टरों की सलाह लें और नियमित रूप से चेकअप करवाएं, तो उन्हें सही पोषण मिलेगा।

परामर्श और नियमित जांच की सहायता से हम बच्चों के पोषण की कमियों की पहचान कर सकते हैं और इन्हें समय रहते ठीक कर सकते हैं।

अगर हमारे बच्चों को सही पोषण नहीं मिलता है, तो वे स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं और उनकी ग्रोथ और विकास पर असर पड़ सकता है।

इसलिए, हमें अपने बच्चों को पेडियाट्रिशियन, पोषण विशेषज्ञ और आहार योग्यता विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। यदि हम बच्चों को स्वस्थ और मजबूत बनाना चाहते हैं, तो पोषणिक मानदंडों का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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