कोलकाता के प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड: एक स्वादिष्ट यात्रा

यशपाल प्रेमचंद

क्या आप जानते हैं कि कोलकाता ने सबसे पहले स्‍ट्रीट फूड की धारा को पकड़ा था? इस शहर को उसकी समृद्ध संस्‍कृति, इतिहास और विशेष तौर पर विविधतापूर्ण और स्वादिष्‍ट स्‍ट्रीट फूड के लिए जाना जाता है। कोलकाता में स्‍ट्रीट फूड की महत्ता और महत्‍व की चर्चा शायद ही आपने किसी संगठन या पुस्तक में पढ़ी होगी।

कोलकाता की सड़कों पर एम्बेलेंस, ट्रांसपोर्ट या स्‍टेशन प्‍लैटफार्म, गॉडाउन या मौसम में खतरा में रसोई गढ़ी या आपकी नानी का घर… हर जगह, किसी भी पल, आपको स्‍ट्रीट फूड की महक महसूस होती है।

हम लाये हैं आपके लिए एक ऐसी यात्रा, जहां हम मिलेंगे आपको कोलकाता की फेमस स्‍ट्रीट फूड्स के साथ। इस आर्टिकल का हमारा मकसद है कि आप कोलकाता के स्‍ट्रीट फूड की दुनिया में भटक पाएं और खुद के इस सफर में मौजूद सौंदर्य और स्‍वाद का आनंद उठाएं।

क्या आप मालाईकुची, जगरी मिस्ठी डोई, कठियावाड़ी रोल, पूछका, फूचका, कचौड़ी और खिलोנा जलेबी के बारे में जानते हैं? यहां, तलाश पूरी होती है।

तो चलिए, कोलकाता की स्‍ट्रीट फूड यात्रा में शामिल हों और स्‍वाद की इस अद्‍भुत दुनिया को खोजें।

फुचका (गोलगप्पे): कोलकाता का सबसे प्रसिद्ध स्नैक

क्या आपने कभी सोचा है कि कोलकाता में सफर के दौरान आपका पेट भरने का बेहतरीन तरीका क्या हो सकता है? यहां एक गली खोजें और आपको फुचका पकौड़ा नामक दो -तीन अद्भुत स्नैक का स्वाद ले लो! फुचका को अन्य जगहों पर गोलगप्पा या पानी पूरी के नाम से भी जाना जाता है।

इस सब्जी लोगों को फुचका की खासता को ग्रसित करता है। दूसरे शब्दों में, रोचक या मसालेदार गोलगप्पों में हममें परिभाषित जगहों के योग्य, मजेदार गोलगप्पू के पुरजों, मसालेदार तथा तलक जायेते हैं, डूबकी या पानी के चलकाया गोलगप्पे के भरकर चटनी आपको बटोर दी सलाद है और सिर्फ आपके मुंह में भर दिया जाता है।

इसीलिए फुचका को खाने के लिए कोलकाता के प्रमुख स्थानों के बारे में बताने के लिए यहां सुनें ???? विवेकानंद पार्क और साउथर्न एवेन्यू कोलकाता की सबसे बेस्ट फुचका की जगहें हैं जहां पर आप खुली हवा में अपनी गोलगप्पों की ताजगी का लुत्फ़ उठा सकते हैं।

जिसे मार्कीट की गूढ़वालाली गली के ग्रामीण महल की अनुभूति के बारे में दिलचस्पी रखते हैं, वहां जानें, यहां पर मिक्सी द्वारा प्रकाश डालने वाली सड़कों के बीच दौड़ती है। यह साने पीछले 100 सालों से होली की सड़कों पर शाम होने वाली है।

काठी रोल: स्वाद का रोल

कोलकाता के काठी रोल सभी खाने वालों के मन को झूमा देते हैं। जहां भी जाएं, पार्क स्ट्रीट कोलकाता की काठी रोल की खुशबू भर देती है। क्या आप जानते हैं कि इन काठी रोल्स की मूल आदि कहानी कहां से शुरू होती है?

प्राचीन काल में जब यात्री लंबी यात्राओं पर जाते थे, उन्हें रास्ते में भोजन की समस्या का सामना करना पड़ता था। इस परेशानी को हल करने के लिए, उन्होंने आवश्यक सामग्री को संग्रह करके रोल्स को तैयार किया।

ये रोल्स आमतौर पर एक फलकीदार पराठे से बने होते हैं जिसमें मुर्गे के कटलेट, मटन, पनीर और सब्जियों का भरपूर मिश्रण होता है। इन्हें प्याज़ और सॉस के साथ प्रदान किया जाता है जो इसे दिलचस्प बनाते हैं।

निजाम्स और कुसुम रोल्स पार्क स्ट्रीट पर मशहूर हैं। यहां जाने वाले लोगों की शानदार पसंदीदा होते हैं। पार्क स्ट्रीट खाने के गली में रहने वाले हर व्यक्ति, वहां के काठी रोल के स्वाद को बता सकता है।

काठी रोल मानो एक मौसम परीक्षण का अनुभव है, जो हर भारतीय में एक विशेष स्थान बना चुका है। और आपको एक ऐसे मेहमान की तरह स्वागत करेगा, जो आपकी रुचि और त्योहार की खुशियों को संगीत सिद्ध कर देगा।

चाय और टेलीभाजा: शाम की चाय का सही साथी

तुम्हें कभी महसूस हुआ है कि शाम की चाय का एक जबरदस्त साथी हो सकता है? तो, देर किस बात की है, चलो देखते हैं की क्या होता है शाम की चाय का सही साथी।

जब तुम चाय के साथ कुछ मजेदार टेलीभाजा खा रहे होते हो, तो विचारने में क्या हर्ज है? छोटी छोटी टेलीभाजा की सख्ती और चाय की मधुरता को आपस में मिलाकर यह अनोखा मिश्रण देश भर में लोकप्रिय है। इनमें से कुछ आम टेलीभाजा जैसे बेगुनी (बेसन से तला बैगन), आलू चॉप (आलू के पकौड़े), और पियाजी (प्याज के पकोड़े) हैं। उनकी स्वादिष्टता और रोचकता से तो अगर चाय चर्चा हो रही हो, तो ये उनका वाजिब उल्लेख होना चाहिए।

अगर तुम कोलेज स्ट्रीट या श्यामबजार क्षेत्र में हो तो वहां के मशहूर चाय के स्थानों और टेलीभाजा दुकानों के बारे में तो सुना ही होगा। उन्हीं स्थानों पर आप छ बोलो की चाय के साथी – टेलीभाजा उठाकर खा सकते हो। हां, उनकी आरामदायक सी जगह, खुशबू से भरी हुई टेलीभाजा और मीठी टिमटिमाहटी चाय वाकई मजिद होती है।

चाय के पारे में अधिक योचना करोगे तो बसों का ट्रॉफिक भी गुजर जाएगा, इसलिए अपने एक चाय वाले इंटू उड़ाओ और टेलीभाजा के साथी की तलाश पर निकलो आज ही।

झालमुरी: चलती-फिरती स्नैक

क्या आपने कभी झालमुरी का स्वाद चखा है? यह चलती-फिरती स्नैक पदार्थ है, जो कि भारतीय सड़कों पर मिश्रित रोमांचक, टेस्टी और मौजदार दिखाई देता है। इसे तमाम प्रकार के मसालों, सरसों के तेल, मूंगफली और कटे हुए सब्जियों के साथ फूले हुए चावल से बनाया जाता है। झालमुरी का स्वाद तीक्ष्णतापूर्ण और मसालेदार होता है, जिसे चटनी और कच्ची केले के साथ खाना बहुत मजेदार होता है।

ये स्नैक भारत के कई शहरों में प्रसिद्ध है, लेकिन न्यू मार्केट और एस्प्लेनेड जैसी जगहों पर आप इसे बड़े आनंद से प्राप्त कर सकते हैं। जहां दिनभर जनता द्वारा भरी और रुचिकर गलियों में झालमुरी के ठिकाने व्यापज्य हैं। आपकी छोटी-छोटी भूख या मुखवास को पूरा करने के लिए, ये स्नैक काफी स्वादिष्ट होता है।

इसे आप सड़क से मंगा के खा सकते हैं और अपने भोजन में थोड़ी एक्साइटमेंट डाल सकते हैं। याद रखें, झालमुरी आपके मूड को चार चांद लगाने में सक्षम है!

घुगनी चाट: चने की चाट का मज़ा

घुगनी चाट, जिसे छल्ले वाले सूखे पीले मटर के नमकीन तले हुए दलिये कहते हैं, एक सावधानशील भारतीय व्यंजन है। इसमें पाक के रूप में पके हुए मटर के दाने, मसालों और कटे हुए प्याज़, हरा धनिया और इमली सॉस के साथ सजाया जाता है।

यदि आप वहां के सड़क खाने के बच्चों से पूछेंगे, तो घुगनी चाट उनकी पसंदीदा है। इसे बनाने का तरीका आसान होता है और इसका स्वाद एकदम मजेदार होता है। विज्ञान का कहना है कि मटर, फाइबर प्रभावी होने के साथ-साथ, शरीर के हेमोग्लोबिन का लेवल भी बढ़ाते हैं जिससे थकान कुछ कम हो जाती है।

‘दाकियनी लेन’ का एक चर्चित दुकानदार हैं जो बांकरसिंग बाजार में यह मशहूर घुगनी चाट बेचते हैं। आपको कहीं और भी यह दिलचस्प व्यंजन मिल सकता है, पर ढाबों में और बाजारों में इसे खाकर आपको उत्कृष्ट का अनुभव होगा। इसे एक बार आजमाएं, आपको इसका स्वादमय परिचय होगा!

रसगुल्ला और मिष्टी: मिठाई की दुनिया

कोलकाता, भारत की उत्तम रसोई का एक शहर है। जहां खाने में मीठे खाने का इतना शौक होता है कि जितनी अपनी शानदार ऐतिहासिक स्थलों की वजह से यह ख़ास हुआ है। और बात मिठाई की हो तो रसगुल्ला सबसे प्यारी मिठाई है। इसकी सॉफ़्ट बॉल आपकी जीभ पर घुलती है और इसका प्यारा सॉग़र रस आपके मुँह में फूट जाता है।

परंपरागत दक्षिणी भारतीय रसगुल्ला कोच्चे दूध के योग्यता को पूरी करता है। अतिरिक्त मिठाई जैसे कि मिष्टी दोई और सन्देश आपकी मिठास का अनुभव कराती हैं। ये मशहूर मिठाईयों का आदान उदान उचित होती है।

यदि आप पक्के परंजरों में चुनाव करना चाहते हैं, तो एक बार केसी दास और बालाराम मुल्लिक और राधारामन मुल्लिक की दुकान का दौरा करें। यहाँ आपको एक एक खुदरा प्रतिनिधित्व मिट्ठाई और कोलकाता के पाठ्यक्रम में जूल हैं।

रसगुल्ला व सन्देश की पेशकश करके रंगीन बंगाल रंगीं हुई दुनिया का मज़ा लीजिए। इन मिठाइयों के स्वाद के साथ संगठन और नीतियों की मिट्ठास और गलतियों की बिखराव का अनुभव करें।

कोलकाता बिरयानी: मांसाहारियों का स्वर्ग

भारतीय खाने का टाइटल ही है की जो जगह का खाना- हर जगह का खाना होता है। विभिन्न राजघरानों के स्वाद का बेस्ट उदाहरण है ‘कोलकाता बिरयानी’। इसके लक्षणों में पके हुए चावल, मांस और आलू की एक अद्वितीय मिठास शामिल है। यहां चावल मुलायम हैं, और जब इसे धुंआ-धार तला जाता है, तो दर्शकों को मूँगफली के युग याद आते हैं। ऐसे बिरयानी का खास स्वाद याद रखने वाला होता है।

कोलकाता की बिरयानी पर मुख्य रूप से अवधी कुकिंग का प्रभाव होता है। अवधी कुकिंग दरअसल अवध में मुग़ल सल्तनत के समय बहुत प्रचलित थी, जहां बावरच्ची के माध्यम से ये बनाया जाता था। उसके बाद कोलकाता में ये आया और यहां के महकते अद्रक के युग आरम्भ हुवे।

कोलकाता में कई ऐसी जगहें हैं जहां पर बिरयानी का आस्वाद किया जा सकता है, जैसे Arsalan, Aminia और Royal Indian Hotel। इनमें से बिरयानी खाने वालों की जनप्रियता का कोई अंत नहीं है। इन दुकानों पर आने और अपनी जुपड़ी में सेट कर बैठने वालों की कतार ऐसी होती है जैसे वे स्वर्ग के द्वार में हों।

इतना स्वादिष्ट और टेस्टी खाना जो खाते ही मुंह में घुल जाए, क्या कोई भी इनकार कर सकता है? भारतीय रसोई में ऐसी ही बहुत सारी मिठासें फैली हुई है। परन्तु कोलकाता बिरयानी की खासियत क्या है और इसे खाने कौन-कौन सी जगहें है, ये जानने के लिए आपको यहां जरूर जाना चाहिए।

मुगलई पराठा: पराठे का शाही स्वाद

मुगलई पराठा, एक भरी हुई पराठा है जिसमें अंडे, मीट कटलेट, और मसाले भरे जाते हैं। यह पराठा मुग़ल संस्कृति का प्रभाव है और स्थानीय लोगों में यह बहुत पसंद है। इसकी भरपूर मसालेदार स्वाद को देखकर किसी भी व्यक्ति का मुंह पानी आ जाता है। क्या यह आपको पंद्रहवीं सदी के मुग़ल सम्राटों की याद दिलाता है?

यहां बाजारों में मुग़ली पराठा त्राटक हो गया है। यहां मूल परांठों की ख़ासता सब्ज़ी या आलू के बजाय अंडे, मीट के टुकड़े, ताजगी से भरी मसाला व तेल-मिर्च के साथ भरे जाते हैं।

इसे चटखारों के साथ ताजगी से बनाया जाता है। अगर आप दिल्ली में हैं तो आप आनंदी केबिन जैसी जगहों पर इन परांथों का आनंद उठा सकते हैं। वहां के मुग़ली पराठे आपको अमीर ख़ान जैसे लज़ीज़ ख़ानदानी स्वाद भरेंगे। क्या आप तैयार हैं इस शाही स्वाद का मज़ा लेने के लिए?

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