निबंध: दीपावली पर एक निबंध

यशपाल प्रेमचंद

दीपावली, जिसे दीवाली भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है। यह पर्व न केवल रोशनी और उल्लास का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता का भी उत्सव है। दीपावली का त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस त्योहार के साथ कई धार्मिक और पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं, जो इसे और भी विशेष बनाती हैं। इस निबंध में हम दीपावली के महत्व, उसकी तैयारी, और इसे मनाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।

दीपावली का सबसे प्रमुख कारण भगवान राम का अयोध्या लौटना है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम, सीता माता और लक्ष्मण 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में घी के दीयों से नगर को सजाया था। तभी से यह पर्व दीपों का उत्सव बन गया। इसके अलावा, यह त्योहार लक्ष्मी पूजन के लिए भी जाना जाता है, जब लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करके अपने घरों में धन-धान्य और समृद्धि की कामना करते हैं।

दीपावली की तैयारियाँ कई दिनों पहले से शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और उन्हें सजाते हैं। दीवारों पर रंगोली बनाई जाती है और घरों को दीयों, मोमबत्तियों और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है। बाजारों में भी विशेष रौनक होती है, जहाँ मिठाइयों, कपड़ों, पटाखों और सजावटी सामानों की खरीदारी की जाती है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इस त्योहार की तैयारियों में जुट जाते हैं, जिससे समाज में उल्लास और उत्साह का माहौल बनता है।

दीपावली के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। घरों में देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस पूजा में विशेष रूप से दीप जलाए जाते हैं, ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-शांति का वास हो। पूजा के बाद लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ बाँटते हैं और बधाइयाँ देते हैं। इस दिन लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलकर खुशियाँ बाँटते हैं और भाईचारे की भावना को प्रबल करते हैं।

दीपावली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पटाखे चलाना भी है। बच्चे और युवा रात को पटाखे जलाते हैं और इस अद्भुत दृश्य का आनंद लेते हैं। हालांकि, पटाखों के कारण होने वाले प्रदूषण को देखते हुए अब लोग पर्यावरण मित्र पटाखों का उपयोग करने लगे हैं। इसके अलावा, कुछ लोग पटाखों की जगह दीयों और मोमबत्तियों से ही दीपावली मनाते हैं, ताकि पर्यावरण को नुकसान न हो।

दीपावली के अवसर पर लोग विशेष पकवान और मिठाइयाँ भी बनाते हैं। लड्डू, बर्फी, गुझिया, काजू कतली और अन्य मिठाइयाँ इस त्योहार का स्वाद और भी बढ़ा देती हैं। घर-घर में विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं और लोग एक-दूसरे को आमंत्रित करके इनका आनंद लेते हैं। इस प्रकार, दीपावली न केवल रोशनी और रंगों का त्योहार है, बल्कि स्वाद और प्रेम का भी उत्सव है।

दीपावली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा है। यह त्योहार समाज में एकता और भाईचारे की भावना को मजबूत करता है। लोग आपसी मनमुटाव और दुश्मनी को भूलकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं और नई शुरुआत करते हैं। दीपावली का त्योहार हमें यह सिखाता है कि जीवन में हमेशा रोशनी की ओर बढ़ना चाहिए और अंधकार को दूर करना चाहिए।

इसके साथ ही, दीपावली आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस त्योहार के दौरान व्यापारियों और दुकानदारों को अधिक मुनाफा होता है, क्योंकि लोग बड़ी मात्रा में खरीदारी करते हैं। कपड़े, गहने, मिठाइयाँ, सजावटी सामान और पटाखे की बिक्री से बाजार में रौनक बढ़ जाती है। इस प्रकार, दीपावली अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करती है।

दीपावली का त्योहार न केवल रोशनी और उल्लास का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता का भी उत्सव है। यह त्योहार हमें एकता, प्रेम और भाईचारे की भावना सिखाता है। हमें इस त्योहार को पर्यावरण मित्र तरीके से मनाना चाहिए और प्रदूषण को कम करने के उपाय अपनाने चाहिए। दीपावली का पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में हमेशा सकारात्मकता और प्रकाश की ओर बढ़ना चाहिए और अंधकार को दूर करना चाहिए।

अपने दोस्तों के साथ शेयर करें

You cannot copy content of this page