निबंध: भारत का स्वतंत्रता संग्राम पर एक निबंध

यशपाल प्रेमचंद

भारत का स्वतंत्रता संग्राम एक ऐसा ऐतिहासिक आंदोलन है जिसने भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्त किया। यह संग्राम कई दशकों तक चला और इसमें लाखों भारतीयों ने अपने प्राणों की आहुति दी। यह केवल एक राजनीतिक संघर्ष नहीं था, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक जागरण का भी प्रतीक था। भारत का स्वतंत्रता संग्राम विश्व इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक आंदोलनों में से एक है। इस निबंध में हम इस संघर्ष के विभिन्न पहलुओं और महत्वपूर्ण घटनाओं पर चर्चा करेंगे।

भारत में स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत 1857 के सिपाही विद्रोह से मानी जाती है। इसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में भी जाना जाता है। इस विद्रोह में भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ बगावत की थी। हालांकि यह विद्रोह सफल नहीं हो पाया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक मजबूत नींव रखी।

1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई, जो स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बनी। इसके संस्थापकों में ए.ओ. ह्यूम, दादा भाई नौरोजी, और सुरेन्द्रनाथ बनर्जी शामिल थे। कांग्रेस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई और भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख नेता बने। 1915 में भारत लौटने के बाद, उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित आंदोलन शुरू किया। 1920 में उन्होंने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की, जिसमें भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार के साथ सभी सहयोग बंद कर दिया। इस आंदोलन ने भारतीय जनमानस में जागरूकता और एकता का संचार किया।

1930 में महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का प्रमुख हिस्सा दांडी मार्च था, जिसमें गांधी जी ने नमक कानून का उल्लंघन करते हुए समुद्र तट पर नमक बनाया। यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़ी चुनौती साबित हुआ और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को और भी मजबूत बना दिया।

महात्मा गांधी के अहिंसात्मक आंदोलनों के साथ-साथ क्रांतिकारी आंदोलनों ने भी स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, और राजगुरु जैसे क्रांतिकारी वीरों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया। भगत सिंह ने लाहौर में ब्रिटिश अधिकारी सांडर्स की हत्या और दिल्ली असेम्बली में बम फेंककर अंग्रेजों को चुनौती दी।

1942 में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण चरण था। गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा दिया और भारतीयों से ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा का आह्वान किया। इस आंदोलन ने पूरे देश को एकजुट कर दिया और ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य कमजोर हो गया था। भारत छोड़ो आंदोलन और अन्य स्वतंत्रता संग्राम के प्रयासों के कारण ब्रिटिश सरकार ने अंततः 1947 में भारत को स्वतंत्रता देने का निर्णय लिया। 15 अगस्त 1947 को भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की और पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।

भारत का स्वतंत्रता संग्राम केवल राजनीतिक आजादी का संघर्ष नहीं था, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी प्रतीक था। इस संघर्ष ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी और भारतीयों को अपनी संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों पर गर्व करना सिखाया। इस संग्राम के कारण भारत में एकता और भाईचारे की भावना प्रबल हुई और भारतीय लोकतंत्र की नींव रखी गई।

भारत का स्वतंत्रता संग्राम एक महान संघर्ष था जिसने हमें आजादी दिलाई। यह संघर्ष हमें याद दिलाता है कि आजादी कितनी मूल्यवान है और इसे बनाए रखने के लिए हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए। स्वतंत्रता संग्राम के वीर योद्धाओं के बलिदान को हम कभी नहीं भूल सकते और हमें उनकी शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर अपने देश की सेवा में निरंतर तत्पर रहना चाहिए।

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