निबंध: किसान की आत्मकथा पर एक निबंध

यशपाल प्रेमचंद

मैं एक किसान हूँ, और मेरी कहानी भी अनगिनत किसानों की कहानियों जैसी है, जो संघर्ष, मेहनत और उम्मीद से भरी है। मेरा नाम रामू है और मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में रहता हूँ। मेरा जीवन खेतों से शुरू होता है और वहीं खत्म हो जाता है। मेरे लिए खेती सिर्फ जीविका का साधन नहीं, बल्कि एक धरोहर है, जो पीढ़ियों से मेरे परिवार में चली आ रही है।

मेरे दादा जी और परदादा जी भी किसान थे। उन्होंने मुझे बताया कि हमारे खेत हमें सिर्फ अनाज नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं। बचपन से ही मैं खेतों में काम करता आया हूँ। जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मैंने खेतों की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। खेती के काम में सूरज उगने से पहले उठना और देर रात तक काम करना शामिल है। हर मौसम अपने साथ नई चुनौतियाँ और नई उम्मीदें लाता है।

गर्मी की तपिश हो, बारिश की बौछारें हों या सर्दी की ठिठुरन, हमें अपने खेतों का ध्यान रखना होता है। जब मैं खेतों में हल चलाता हूँ, तो मुझे गर्व महसूस होता है। मेरे हाथों की मेहनत से जब फसलें लहलहाती हैं, तो दिल को एक अलग ही सुकून मिलता है। खेती एक तपस्या है, जो हमें धैर्य और समर्पण सिखाती है।

लेकिन, किसान का जीवन हमेशा आसान नहीं होता। हमारे सामने कई कठिनाइयाँ होती हैं। कभी मौसम की मार, कभी बाजार की अनिश्चितता और कभी कर्ज का बोझ। हमारे खेतों में कभी अच्छी फसल होती है, तो कभी सूखा या बाढ़ हमें निराश कर देती है। इन सबके बावजूद, हम हार नहीं मानते और अपनी पूरी ताकत से मेहनत करते रहते हैं।

मैंने कई बार देखा है कि जब फसल अच्छी होती है, तो हमारा चेहरा खिल उठता है। परिवार में खुशियाँ आती हैं और हमें अपनी मेहनत का फल मिलता है। लेकिन जब फसल खराब होती है, तो दुख और निराशा का सामना करना पड़ता है। ऐसे समय में परिवार के सदस्यों का सहारा और उनका साथ ही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

खेती सिर्फ अनाज उगाने का काम नहीं है, यह हमें प्रकृति के करीब लाती है। खेतों में काम करते हुए हम हवा की ताजगी, मिट्टी की महक और फसलों की सरसराहट महसूस करते हैं। यह एक ऐसी अनुभूति है, जो शहरों के जीवन में संभव नहीं है। प्रकृति के इस अद्भुत संगम में जीवन बिताना एक अनमोल अनुभव है।

सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा किसानों की मदद के लिए कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। लेकिन कभी-कभी ये योजनाएँ हमारी पहुँच से दूर होती हैं। हमें अपनी जरूरतों के अनुसार सही जानकारी और संसाधन नहीं मिल पाते। फिर भी, हमें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है और अपनी समस्याओं का समाधान खोजने की कोशिश करनी होती है।

खेती के साथ-साथ, हम पशुपालन भी करते हैं। हमारे पास कुछ गायें और भैंसें हैं, जो हमारे लिए दूध और अन्य उत्पाद उपलब्ध कराती हैं। पशुओं का देखभाल करना भी हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह काम भी हमें अनुशासन और सहनशीलता सिखाता है।

किसान का जीवन कठिन है, लेकिन इसमें एक अनोखी संतुष्टि भी है। हमारे जीवन का हर दिन एक नई चुनौती और एक नई उम्मीद लेकर आता है। जब हम अपने खेतों में मेहनत करते हैं और देखभाल करते हैं, तो हमें अपनी मेहनत पर गर्व होता है। खेती हमें सिखाती है कि मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है, चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो।

मेरी आत्मकथा के माध्यम से, मैं यह संदेश देना चाहता हूँ कि किसान हमारे समाज की रीढ़ हैं। हमें उनकी मेहनत और संघर्ष का सम्मान करना चाहिए। उनके बिना हम अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकते। इसलिए, हमें किसानों की समस्याओं को समझकर उनके समाधान के लिए प्रयास करना चाहिए। यही हमारे समाज और देश के विकास का सही मार्ग है।

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