निबंध: होली का त्यौहार पर निबंध

यशपाल प्रेमचंद

होली का त्यौहार भारत के प्रमुख और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। इसे रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर और गुलाल उड़ाकर खुशियाँ मनाते हैं। होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसका उत्सव दो दिनों तक चलता है। पहले दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन रंगों की होली खेली जाती है। इस निबंध में हम होली के महत्व, इसके मनाने के तरीकों और इसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

होली का त्यौहार पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। इसकी उत्पत्ति के पीछे कई कहानियाँ प्रचलित हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है भक्त प्रह्लाद की कथा। प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और उसके पिता हिरण्यकश्यप ने उसे विष्णु भक्ति से रोकने के लिए कई प्रयास किए। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती। उसने प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने का निर्णय लिया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी घटना की याद में होलिका दहन मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली का त्यौहार भारतीय समाज में सामूहिकता और सौहार्द का प्रतीक है। यह त्यौहार जाति, धर्म, और सामाजिक वर्गों की सीमाओं को मिटाकर सभी को एक साथ लाता है। होली के दिन लोग अपने गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं और रंग-गुलाल लगाते हैं। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि हमें अपने भेदभावों को भूलकर एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे का व्यवहार करना चाहिए।

होली के त्यौहार की तैयारी कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और विशेष पकवानों की तैयारी करते हैं। गुजिया, पापड़ी, ठंडाई, और अन्य मिठाइयाँ इस त्यौहार के प्रमुख व्यंजन हैं। इसके अलावा, बाजारों में रंग, गुलाल, पिचकारियों और होली के अन्य सामानों की खरीदारी भी होती है। लोग होलिका दहन के लिए लकड़ी और गोबर के उपले एकत्र करते हैं और उसे जलाने के लिए तैयार करते हैं।

होलिका दहन के दिन लोग शाम को इकट्ठा होकर होलिका की पूजा करते हैं और उसे जलाते हैं। इस अवसर पर लोग अपने घरों में खुशहाली और समृद्धि की कामना करते हैं। होलिका दहन के अगले दिन लोग सुबह से ही रंगों की होली खेलने के लिए तैयार हो जाते हैं। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी मिलकर रंगों और गुलाल से खेलते हैं और एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। पिचकारियों और पानी के गुब्बारों का भी इस दिन विशेष महत्व होता है। सभी लोग अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों के साथ होली का आनंद लेते हैं।

होली का त्यौहार न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। भारत के बाहर रहने वाले भारतीय समुदाय भी होली के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं और इसे खुशी और उमंग के साथ मनाते हैं। इस तरह, होली का त्यौहार भारतीय संस्कृति और परंपराओं को विश्व स्तर पर भी पहुँचाता है।

होली के त्यौहार का एक और महत्वपूर्ण पहलू है सांस्कृतिक कार्यक्रम। होली के अवसर पर कई स्थानों पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिनमें संगीत, नृत्य, और नाटकों का प्रदर्शन होता है। लोग ढोलक, मंजीरा और अन्य वाद्य यंत्रों की धुन पर नाचते और गाते हैं। होली के गीत और भजन इस त्यौहार की खुशी को और बढ़ा देते हैं। इसके अलावा, कई स्थानों पर फागोत्सव और होली मिलन समारोह का भी आयोजन किया जाता है, जहाँ लोग इकट्ठा होकर एक-दूसरे के साथ खुशियाँ बाँटते हैं।

हालांकि, होली के त्यौहार का आनंद लेते समय हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, हमें प्राकृतिक और सुरक्षित रंगों का उपयोग करना चाहिए, ताकि हमारी त्वचा और स्वास्थ्य को कोई नुकसान न हो। इसके अलावा, पानी की बर्बादी से बचना चाहिए और होली खेलते समय दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे उत्सव में किसी को कोई असुविधा न हो और सभी लोग इस त्यौहार का आनंद ले सकें।

होली का त्यौहार भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें प्रेम, भाईचारे, और सामूहिकता का संदेश देता है। यह त्यौहार हमें अपनी भेदभावों को भुलाकर एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियाँ मनाने का अवसर प्रदान करता है। होली के माध्यम से हम अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहरों को संजोते हैं और आने वाली पीढ़ियों को इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। हमें होली के त्यौहार का सम्मान करना चाहिए और इसे सच्चे मन से मनाना चाहिए, ताकि हम सभी के जीवन में रंगों की तरह खुशियाँ और उमंग बनी रहे।

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