निबंध: स्कूल चले हम अभियान पर निबंध

यशपाल प्रेमचंद

भारत में शिक्षा का महत्व अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि शिक्षा से ही समाज का सर्वांगीण विकास संभव है। शिक्षा न केवल व्यक्तिगत विकास का साधन है, बल्कि यह समाज और राष्ट्र के विकास की नींव भी रखती है। इसके बावजूद, हमारे देश में आज भी कई बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। इस समस्या के समाधान के लिए ‘स्कूल चले हम’ अभियान शुरू किया गया है। इस निबंध में हम इस अभियान के महत्व, उद्देश्यों और इसके प्रभावों पर चर्चा करेंगे।

‘स्कूल चले हम’ अभियान की शुरुआत 2001 में हुई थी। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य हर बच्चे को स्कूल भेजना और उन्हें शिक्षा के अधिकार से वंचित न होने देना है। सरकार ने इस अभियान के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि हर बच्चे को शिक्षा का मौलिक अधिकार प्राप्त हो और कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए।

इस अभियान के तहत सरकार ने कई योजनाएँ और कार्यक्रम चलाए हैं, जिनका उद्देश्य बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करना है। इसमें विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया जाता है, जैसे टेलीविजन, रेडियो, समाचार पत्र, और सोशल मीडिया, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक इस संदेश को पहुँचाया जा सके।

‘स्कूल चले हम’ अभियान के तहत कई गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण गतिविधि है घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना। इसके लिए स्वयंसेवकों और शिक्षकों की टीम बनाई जाती है, जो घर-घर जाकर माता-पिता से मिलती है और उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करती है। इस दौरान उन्हें शिक्षा के महत्व और उसके लाभों के बारे में भी बताया जाता है।

इसके अलावा, इस अभियान के तहत स्कूलों में बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि खेल-कूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और स्वास्थ्य शिविर। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य बच्चों को स्कूल में बने रहने और पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है। इसके साथ ही, बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण का भी ध्यान रखा जाता है, ताकि वे स्वस्थ और तंदुरुस्त रहें और उनकी पढ़ाई में कोई बाधा न आए।

‘स्कूल चले हम’ अभियान के तहत सरकार ने कई योजनाएँ भी शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य बच्चों की शिक्षा को सुगम और सुलभ बनाना है। इनमें से एक महत्वपूर्ण योजना है ‘मिड-डे मील’ योजना, जिसके तहत बच्चों को स्कूल में मध्याह्न भोजन प्रदान किया जाता है। इससे न केवल बच्चों की पोषण संबंधी जरूरतें पूरी होती हैं, बल्कि उन्हें स्कूल में बने रहने का भी प्रोत्साहन मिलता है।

इसके अलावा, सरकार ने ‘सर्व शिक्षा अभियान’ भी शुरू किया है, जिसका उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा को सभी बच्चों के लिए अनिवार्य और मुफ्त बनाना है। इस योजना के तहत स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जाता है, जैसे कि क्लासरूम, पुस्तकालय, खेल के मैदान, और शौचालय। इससे बच्चों को बेहतर शिक्षा का वातावरण मिलता है और उनकी पढ़ाई में सुधार होता है।

‘स्कूल चले हम’ अभियान के प्रभाव भी व्यापक हैं। इस अभियान के चलते देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों के नामांकन दर में वृद्धि हुई है। कई बच्चे जो पहले शिक्षा से वंचित थे, अब स्कूल जाने लगे हैं। इसके साथ ही, बच्चों के ड्रॉपआउट दर में भी कमी आई है। यह अभियान न केवल बच्चों को शिक्षा प्रदान करने में मदद करता है, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार लाता है।

इस अभियान के माध्यम से समाज में शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है। अब लोग शिक्षा के महत्व को समझने लगे हैं और अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसके साथ ही, बच्चों में भी पढ़ाई के प्रति रुचि और उत्साह बढ़ा है। वे अब अधिक उत्साह और मनोबल के साथ स्कूल जाते हैं और अपनी पढ़ाई में मन लगाते हैं।

हालांकि, ‘स्कूल चले हम’ अभियान के सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। गरीबी, सामाजिक असमानता, और पारिवारिक समस्याएँ अभी भी बच्चों के शिक्षा प्राप्त करने में बाधा बनी हुई हैं। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है। सरकार, गैर-सरकारी संगठन, और समाज को मिलकर इन समस्याओं का समाधान करना होगा, ताकि हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार मिल सके।

‘स्कूल चले हम’ अभियान एक महत्वपूर्ण पहल है, जो देश में शिक्षा के प्रसार और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह अभियान न केवल बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाने में मदद करता है, बल्कि समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता भी बढ़ाता है। हमें इस अभियान का समर्थन करना चाहिए और इसे सफल बनाने के लिए अपने स्तर पर योगदान देना चाहिए। केवल तभी हम एक शिक्षित और समृद्ध समाज का निर्माण कर सकते हैं।

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