किस तिथि को क्या न खाएं?

यशपाल प्रेमचंद

हमारे भारतीय समाज में खाने-पीने की चीजों का खास महत्व है। खाना न केवल हमारी भूख मिटाता है, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और स्वास्थ्य से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।

पर क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ खास तिथियों पर कुछ विशेष चीजें क्यों नहीं खानी चाहिए? इस ब्लॉग में हम इन्हीं महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

1. अमावस्या

अमावस्या का दिन भारतीय ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को पितरों के तर्पण और पूजा-अर्चना के लिए विशेष रूप से चुना गया है।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन नई चीजें शुरू करने से बचना चाहिए और भोजन भी हल्का और सात्विक रखना चाहिए। खासतौर पर मसालेदार और तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए, जैसे कि लहसुन, प्याज, मांसाहार आदि।

2. पूर्णिमा

पूर्णिमा का दिन भी हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता है। इस दिन को देवी-देवताओं की पूजा और व्रत के लिए माना जाता है।

पूर्णिमा के दिन भी हमें सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए। तली-भुनी चीजें, अधिक तेल-मसाले वाली चीजें खाने से बचना चाहिए। दूध, दही और फल जैसे स्वास्थ्यवर्धक चीजों का सेवन करना उत्तम माना जाता है।

3. अष्टमी और नवमी

अष्टमी और नवमी तिथियाँ विशेष रूप से देवी पूजा और व्रत के लिए मानी जाती हैं। इन दिनों में हमें मांसाहार, अंडे, और किसी भी प्रकार की तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।

हल्का, सात्विक और शुद्ध भोजन ही करना चाहिए। फल, सब्जियाँ, और दुग्ध उत्पादों का सेवन करना उत्तम माना जाता है।

4. एकादशी

एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। इस दिन चावल का सेवन वर्जित माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है।

इसलिए इस दिन फलों का सेवन, साबूदाने की खिचड़ी, और अन्य व्रत के खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

5. श्राद्ध पक्ष

श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण किया जाता है और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष प्रकार का भोजन तैयार किया जाता है।

इस दौरान मांसाहार, प्याज, लहसुन, और अन्य तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए जैसे कि खिचड़ी, दाल-चावल, और फल।

6. संकष्टी चतुर्थी

संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित होती है और इस दिन व्रत रखा जाता है। इस दिन अन्न का सेवन नहीं किया जाता।

फलाहार और दुग्ध उत्पादों का सेवन किया जाता है। इस दिन को विशेष रूप से गणेश जी की पूजा और आराधना के लिए माना जाता है।

7. महा शिवरात्रि

महा शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दिन उपवास रखा जाता है। इस दिन को तामसिक और मांसाहारी चीजों का सेवन वर्जित है। केवल फल, दूध, और सात्विक चीजों का ही सेवन करना चाहिए।

8. नवरात्रि

नवरात्रि का व्रत नौ दिनों तक चलता है और इस दौरान देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। इस दौरान अन्न का सेवन नहीं किया जाता।

केवल फल, दूध, और व्रत के लिए उपयुक्त चीजों का ही सेवन करना चाहिए। तामसिक चीजें जैसे प्याज, लहसुन, और मांसाहार से पूरी तरह दूर रहना चाहिए।

9. सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण

ग्रहण के दौरान भी खाने-पीने की चीजों का खास ध्यान रखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के समय कोई भी भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि इस समय का भोजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

ग्रहण के समाप्त होने के बाद ही भोजन करना चाहिए।

10. विशेष पर्व और त्योहार

कई ऐसे पर्व और त्योहार हैं जिनके दौरान विशेष प्रकार का भोजन किया जाता है और कुछ चीजों से बचना चाहिए।

जैसे कि होली के दिन भांग और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। दीपावली के दिन तले-भुने और मिठाईयों का सेवन अधिक मात्रा में करने से बचना चाहिए।

11. सावन सोमवार

सावन के महीने में सोमवार का व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक होता है।

सावन सोमवार के दिन तामसिक भोजन, जैसे मांस, अंडे, और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए, जिसमें फल, दूध, और हल्का खाना शामिल हो।

12. मकर संक्रांति

मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ का सेवन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन अधिक तले-भुने और मसालेदार खाने से बचना चाहिए। तिल-गुड़ की लड्डू, खिचड़ी, और हल्का भोजन करना स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है।

13. करवा चौथ

करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन किया जाता है और फिर दिनभर निर्जल व्रत रखा जाता है।

शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद ही भोजन किया जाता है। इस दिन भी तामसिक भोजन से बचना चाहिए और सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए।

14. अखंड ज्योति

अखंड ज्योति व्रत के दिन अखंड दीपक जलाया जाता है और इस दिन व्रत रखकर पूजा की जाती है। इस दिन तामसिक भोजन, प्याज, लहसुन और मांसाहार से पूरी तरह से बचना चाहिए। केवल फल, दूध, और सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।

15. गुरुपूर्णिमा

गुरुपूर्णिमा का दिन गुरुओं को समर्पित होता है। इस दिन गुरु की पूजा और आशीर्वाद लेने का महत्व होता है। इस दिन भी सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए और तामसिक भोजन, जैसे कि मांस, अंडे, और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।

16. दीपावली का दूसरा दिन (गोवर्धन पूजा)

दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का महत्व है। इस दिन खासतौर पर हल्का और सात्विक भोजन ही करना चाहिए। मांसाहार और तामसिक चीजों का सेवन पूरी तरह से वर्जित है।

इस दिन विशेष रूप से अन्नकूट का आयोजन होता है और कई प्रकार के सब्जियों का सेवन किया जाता है।

17. भाई दूज

भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के प्यार और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर भोजन करता है। भाई दूज के दिन भी सात्विक और हल्का भोजन ही करना चाहिए। तामसिक और मसालेदार चीजों से बचना चाहिए।

18. राम नवमी

राम नवमी भगवान श्रीराम के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। इस दिन का व्रत रखने का विशेष महत्व है। इस दिन भी तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। फल, दूध, और अन्य सात्विक चीजों का सेवन करना चाहिए।

19. हनुमान जयंती

हनुमान जयंती भगवान हनुमान के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। इस दिन उपवास रखा जाता है और हनुमानजी की पूजा की जाती है। इस दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए और सात्विक भोजन ही करना चाहिए।

20. गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन उपवास रखकर गणेशजी की पूजा की जाती है। तामसिक भोजन, मांसाहार और अधिक मसालेदार चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। सात्विक भोजन, जैसे कि मोदक, फल, और दूध का सेवन करना चाहिए।

21. प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दिन व्रत रखा जाता है। इस दिन तामसिक और मांसाहारी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। केवल फल, दूध, और सात्विक चीजों का ही सेवन करना चाहिए। यह व्रत विशेष रूप से शाम के समय भगवान शिव की पूजा के लिए होता है।

22. हरतालिका तीज

हरतालिका तीज का व्रत खासतौर पर महिलाओं द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए रखा जाता है। इस दिन व्रत के दौरान कुछ भी खाने-पीने का निषेध होता है। शाम को पूजा के बाद फल और दूध का सेवन किया जा सकता है। तामसिक चीजों का सेवन इस दिन नहीं करना चाहिए।

23. वट सावित्री व्रत

वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है और इसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। इस दिन व्रत रखा जाता है और तामसिक भोजन का सेवन नहीं किया जाता। केवल फल, दूध, और सात्विक चीजों का सेवन करना चाहिए।

24. गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा का दिन गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने के लिए होता है। इस दिन सात्विक और हल्का भोजन करना चाहिए। तामसिक भोजन, जैसे मांस, लहसुन, प्याज आदि से दूर रहना चाहिए। इस दिन विशेष रूप से गुरु पूजा और आध्यात्मिक साधना की जाती है।

25. भाद्रपद मास

भाद्रपद मास में कई विशेष पर्व और व्रत होते हैं, जैसे गणेश चतुर्थी और अनंत चतुर्दशी। इस दौरान तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। सात्विक और हल्का भोजन ही करना चाहिए। गणेश चतुर्थी के दौरान भगवान गणेश की पूजा करते समय भी तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए।

26. माघ पूर्णिमा

माघ पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से स्नान और दान के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भी तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। हल्का, सात्विक और शुद्ध भोजन ही करना चाहिए। इस दिन गंगा स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है।

27. कार्तिक मास

कार्तिक मास को धर्म और आस्था का मास माना जाता है। इस पूरे महीने में तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। दीपावली के बाद शुरू होने वाले इस महीने में विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और साधना की जाती है। सात्विक भोजन करना ही उचित होता है।

28. रथ सप्तमी

रथ सप्तमी का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है। इस दिन सूर्य पूजा की जाती है और तामसिक भोजन से बचना चाहिए। केवल हल्का और सात्विक भोजन ही करना चाहिए। यह दिन विशेष रूप से सूर्य भगवान की आराधना और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

हमारे धर्म और संस्कृति में खाने-पीने की चीजों का विशेष महत्व है। खास तिथियों पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, इसका ध्यान रखना न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए बल्कि हमारे मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए भी आवश्यक है।

यह हमें हमारे पौराणिक ज्ञान और परंपराओं से जोड़ता है और हमें अपने जीवन में संतुलन और संयम बनाए रखने की प्रेरणा देता है।

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